तूफान फानी तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के करीब पहुंच चुका है। भारतीय मौसम विभाग ने आशंका व्यक्त की है कि यह तूफान तीव्र हो सकता है और ज्यादा तबाही मचा सकता है। पिछले साल भी तूफान गाजा ने तमिलनाडु के तटों पर तबाही मचाई थी। 20 लोगों ने जान गवां दी थी और काफी नुकसान भी हुआ था। पर क्या आप जानते हैं कि भारत के पूर्वी तट पर ही ज्यादातर तूफान क्यों आते हैं और पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल आदि को अधिक प्रभावित करते हैं। साइक्लोन या चक्रवात क्या है साइक्लोन पश्चिमी प्रशांत महासागर और भारत के पास बंगाल के आसपास उठने वाला चक्रवाती तूफान हैं। साइक्लोन समंदर में उस जगह से उठता है जहां पर तापमान अन्य जगहों के मुकाबले ज्यादा होता है। उत्तरी झव के नजदीक वाले इलाको में साइक्लान घड़ी चलने की उल्टी दिशा में आगे घड़ा चलन का उल्टा दिशा म आग बढ़ता है। जबकि भारतीय उपमहाद्वीप के आस-पास साइक्लोन घडा चलने की दिशा में आगे बढ़ता है। इतिहास के 35 सबसे घातक उष्ण कटिबंधीय चक्रवात में से 26 चक्रवात बंगाल की खाड़ी में आए हैं। इन तूफानों से बाग्लादेश में सबसे ज्यादा लोगों को मौत हुई है। पिछले 200 साल में दुनिया भर में उष्ण कटिबंधीय चक्रवात से दुनिया भर में हुई कुल मौत में से 40 फीसदी सिर्फ बांग्लादेश में हुई है। जबकि भारत में एक चौथाई जानें गई हैंओडिशा सबसे ज्यादा प्रभावित 1891 से 2002 के बीच ओडिशा में 98 तूफान आए। हालांकि आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा मौत हुई हैं। ठंडा है पश्चिम तट बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की तुलना में ज्यादा तूफान आते हैंइसका कारण हवा का बहाव है। इससे पश्चिमी ओर का सागर ठंडा रहता है। ठंडे सागर में कम तूफान आते हैं। वहीं पश्चिमी तट पर बनने वाले ज्यादातर तूफान भी ओमान की ओर मुड जाते हैं। इसलिए यह भारतीय तटो को और नहीं बढ़ पाते हैं। नेशनल साइक्लॉन रिस्क मिटिगेशन प्रोजेक्ट के मुताबिक मुताबिक साल 1891 से 2000 कबीच भारत के पूर्वी तट पर 308 तूफान आए। इसी दौरान पश्चिमी तट पर सिर्फ 48 तूफान आए। पूर्वी तट के तूफान ज्यादा ताकतवर और ऊंची लहरें पूर्वी तट पर बने तूफान ज्यादा ताकतवर होते हैं। वहीं पर्वी तटों से लगने वाले राज्यों की भमि भी ज्यादा समतल है. इसलिए यह तफानों को मोड भी नहीं पाती है। जबकि पश्रिमी तट के तूफान मुड जाते हैं। जब एक विशेष जीतता नपान भारत के पी नट और बांग्लादेश से टकराता है तो इससे जो लहरें उठती हैं वो दुनिया में किसी भी जिले में तपान की वजह से उठने भी हिस्से में तुफान की वजह से उठने वाली लहरों के मकाबले ऊंची होती हैं। इसके पीछे वजह है तटों की खास प्रकति और समुद्र का छिछला तल। अप्रैल से बढ़ती तूफानों की संख्या __ अप्रैल से दिसंबर तक तूफानों का मौसम होता है। लेकिन 65 फीसदी तूफान साल के अंतिम चार माह सितंबर से दिसंबर के बीच आते हैं। हवा की रफ्तार से तय होते हैं तफान पार तुफान का वर्गीकरण कम दबाव के र में दवा की गाना मे टोता है। किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाले तूफान को उष्म कटिबंधीय तूफान कहते हैं। यह तीव्र तुफान में बदल जाता है अगर यतीव तफान में बदल जाता है अगर हवा की रफ्तार 89 से 118 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है। तफान बेहद तीव्र हो जाता है अगर हवा 119 से 221 के बीच होती है। इससे तेज रफ्तार वाले तुफान सुपर उष्ण कटिबंधीय चक्रवात कहते हैं।
अधिकांश तूफान बंगाल, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु को करते हैं तबाह? जानें वजह